Haryana Civil Services

हरियाणा पी.सी.एस. – प्रकृति एवं प्रक्रिया

परीक्षा की प्रकृति

हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित हरियाणा सिविल सेवा (HCS) परीक्षा तीन चरणों में संपन्न होती है। प्रतियोगी की गंभीरता, परिपक्वता एवं योग्यता को परखने के लिये तीनों ही चरणों की प्रकृति अलग-अलग होती है।

प्रथम चरण : प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ प्रकृति)
द्वितीय चरण : मुख्य परीक्षा (लिखित/वर्णनात्मक प्रकृति)
तृतीय चरण : साक्षात्कार (मौखिक प्रकृति)

क्र.सं.प्रारंभिक परीक्षा प्रश्नपत्र  कुल प्रश्नकुल अंकसमयावधिएक-चौथाई (1/4) निगेटिव मार्विंग का प्रावधान है
1.सामान्य अध्ययन1001002 घंटा
2.सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट)1001002 घंटा
OUR RECENT RESULTS IN HCS AND HAS

प्रारंभिक परीक्षा की प्रक्रिया

प्रारंभिक परीक्षा एकदिवसीय होती है। यह परीक्षा आयोग द्वारा निर्धारित तिथि पर राज्य के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर संपन्न कराई जाती है। इस परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन-प्’ एवं ‘सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट’ (सीसैट) होते हैं। इसलिये परीक्षा का आयोजन भी प्रश्न-पत्रवार दो-दो घंटे की समयावधि की दो पालियों में कराया जाता है। दोनों पालियों के बीच 3 घंटे का अंतराल होता है। इस परीक्षा का उद्देश्य मुख्य परीक्षा के लिये अभ्यर्थियों का चयन (शॉर्टलिस्टिंग) करना है। अंतिम चयन सूची केवल मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार में प्राप्त अंकों के आधार पर निर्मित की जाती है। प्रारंभिक परीक्षा में कट-ऑफ का निर्धारण प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ में प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता है, जबकि द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सीसैट’ का स्वरूप क्वालीफाइंग होता है। द्वितीय प्रश्नपत्र के लिये 33% क्वालीफाइंग अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है। ध्यातव्य है कि इस परीक्षा में प्रत्येक गलत उत्तर के लिये एक-चौथाई (1/4) निगेटिव मार्विंग का प्रावधान है।

हरियाणा पी.सी.एस. – रणनीति

परीक्षा की रणनीति

उज्ज्वल भविष्य की तैयारी में लगे अभ्यर्थियों के बीच एक बेहतर विकल्प के चुनाव के लिये कशमकश का बने रहना स्वाभाविक है। राज्य लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तथा अन्य सरकारी संगठनों/बोर्डों द्वारा आयोजित परीक्षाएँ राज्य स्तर पर सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित विकल्प हैं। यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे ज़्यादातर अभ्यर्थी राज्य सेवा परीक्षा की ओर आकर्षित एवं सफल होते रहे हैं। इसकी मुख्य वजह इन दोनों ही परीक्षाओं की प्रकृति, प्रक्रिया एवं पाठ्यक्रम में थोड़ा-बहुत अंतर होने के बावजूद काफी समानता का होना है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहाँ प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी एकदिवसीय परीक्षाओं में तथा एकदिवसीय परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी इन प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं में सफल होते हैं। ऐसे में सफलता सुनिश्चित करने के क्रम में हमारी प्राथमिकता यह होनी चाहिये कि परीक्षा की प्रकृति के अनुरूप एक उचित एवं गतिशील रणनीति बनाई जाए। यहाँ HCS ‘प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति पर चर्चा की जा रही है।

प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति

  • किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा में विजेता वही होता है, जिसने अपनी तैयारी शुरुआत से की हो। इस दृष्टि से अभ्यर्थियों के लिये उचित होगा कि वे सर्वप्रथम परीक्षा के पाठ्यक्रम का अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग तथा पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा व रुचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें। 
  • तत्पश्चात् पूर्व में आयोजित हो चुकी प्रारंभिक परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें। जिन विषयों एवं टॉपिक से ज़्यादा प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति दिखाई देती है, उनका विशेष ध्यान रखें।
  • इस अवलोकन से यह अंदाजा लगाना आसान हो जाएगा कि परीक्षा के अनुरूप हमें किन खंडों पर अपनी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी मज़बूत करनी है।
  • संपूर्ण पाठ्यक्रम की अध्ययन सामग्री को रट लेना किसी भी विद्यार्थी के लिये संभव नहीं है, ऐसे में बेहतर होगा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अध्ययन किया जाए। इससे तथ्यों को याद रखने में आसानी होगी, उदाहरण के लिये- अगर हम भारत के भूगोल को उसके नक्शे के साथ पढ़ेंगे तो तथ्यों की पूरी एक शृंखला ही हमारे दिमाग में छप जाएगी। प्रयास करें कि शॉर्ट नोट्स साथ-साथ बनाते चलें।
  • अगर कट-ऑफ की बात करें तो अब तक HCS प्रारंभिक परीक्षा का कट-ऑफ प्राय: 60&65 प्रतिशत तक रहा है। हालाँकि वर्तमान में हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा प्रश्नपत्र-2 अर्थात् CSAT को क्वालीफाईंग प्रकृति का कर दिये जाने के कारण कट-ऑफ थोड़ा परिवर्तित हो सकता है। फिर भी बेहतर होगा कि हम पूर्व कट-ऑफ मार्क्स को ध्यान में रखते हुए अपना टारगेट सेट करें।
  • इस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों ने नियमित अध्ययन को अपनी सफलता का मूलमंत्र माना है, अत: अपनी नियमित दिनचर्या से 5-6 घंटे का समय अध्ययन के लिये निकालना उचित होगा। यदि समसामयिक घटनाओं एवं रिवीज़न के लिये भी 1-2 घंटे का समय देते हैं, तो काफी बेहतर स्थिति में रहेंगे।
  • आपकी सुविधा के लिये हमने पिछले 3 वर्षों की प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र का विषयवार ट्रेंड एनालिसिस तैयार किया है। इस सारणी से स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र के सभी खंडों को हर वर्ष आनुपातिक रूप से लगभग बराबर महत्त्व दिया जा रहा है। हालाँकि, हरियाणा विशेष से संबंधित प्रश्नों की संख्या आनुपातिक रूप से कम है।
HCS (प्रारंभिक परीक्षा) सामान्य अध्ययन-ट्रेंड एनालिसिस
विषय2017
(आयोजन वर्ष-2019)
2014
(आयोजन वर्ष-2014)
2011
(आयोजन वर्ष-2012)
इतिहास241920
भूगोल152213
भारतीय राजव्यवस्था101310
सामान्य विज्ञान एवं विज्ञान-प्रौद्योगिकी192411
भारतीय अर्थव्यवस्था081014
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी0204
करेंट अपेयर्स1001
हरियाणा विशेष100721
विविध0201
कुल10010090
  • इस एनालिसिस से यह भी स्पष्ट है कि यदि किसी वर्ष किसी विषय से कम प्रश्न पूछे गए हैं तो अगले वर्ष उस विषय से ज़्यादा प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। अत: किसी भी विषय को कम आँकना उचित नहीं होगा। हरियाणा राज्य विशेष के साथ-साथ सामान्य अध्ययन के सभी खंडों की तैयारी के लिये ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स’ की क्विक बुक सीरीज़ की 8 पुस्तकों का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा। इस बुक सीरीज़ में पीएससी एवं अधीनस्थ तथा एकदिवसीय परीक्षाओं के लिये पर्याप्त कंटेंट दिया गया है, जो कि आधिकारिक एवं प्रामाणिक स्रोतों से तैयार है। इस प्रकार एक ही जगह परीक्षोपयोगी संपूर्ण अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो जाने से समय और ऊर्जा की भी पर्याप्त बचत होगी।
  • समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति तथा संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से ‘दृष्टि वेबसाइट एवं ‘दृष्टि यूट्यूब चैनल्स पर उपलब्ध करेंट अपेयर्स का अध्ययन कर सकते हैं। इसके साथ ही ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स की मासिक पत्रिका ‘हरियाणा करेंट अपेयर्स’ का अध्ययन करना भी लाभदायक होगा। वैसे तो सामान्य अध्ययन के सभी खंडों के लिये ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स की क्विक बुक सीरीज़ की 8 पुस्तकें पर्याप्त हैं, फिर भी यदि आप अपनी तैयारी को और परखना चाहते हैं तो इसके लिये आप ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स’ की प्रीलिम्स प्रैक्टिस सीरीज़ (PPS) की पुस्तकों का अध्ययन भी कर सकते हैं।
  • अपने क्वालीफाइंग स्वरूप के चलते द्वितीय प्रश्नपत्र भी पर्याप्त गंभीरता की मांग करता है। प्रथम प्रश्नपत्र की तरह ही इस प्रश्नपत्र में भी गणित, तर्कशक्ति आदि से संबंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडों में वर्गीकृत करके किया जा सकता है। इस प्रश्नपत्र के लिये ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स की सीसैट (CSAT) पुस्तक अत्यंत लाभदायी होगी। अपनी तैयारी को और धार देने के लिये विगत वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय-सीमा के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायी होगा।
  • अपनी तैयारी को अंतिम रूप से परखने के लिये आप इस परीक्षा पर आधारित कोई टेस्ट सीरीज़ जॉइन कर सकते हैं। इससे निश्चित समय-सीमा में प्रश्नों को हल करने तथा समय-प्रबंधन की दक्षता में भी वृद्धि होगी।

प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी का अंतिम चरण

परीक्षा के 2-3 दिन पहले से कुछ भी नया खंड या टॉपिक पढ़ने से बचें। अपनी तैयारी पर आत्मविश्वास बनाए रखें। आपने अब तक जितना पढ़ा है, उसी का रिवीज़न करें। याद रखें कि तनाव लेने से परीक्षा में आपका प्रदर्शन बेहतर होने की बजाय कम हो जाएगा। इसलिये तनावमुक्त रहें और परीक्षा वाली रात भरपूर नींद लें। प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों के उत्तर देने के क्रम को लेकर ज़्यादातर अभ्यर्थियों में संशय की स्थिति बनी रहती है। उत्तर देने का क्रम क्या हो? इसका उत्तर सभी के लिये एक समान नहीं हो सकता। इसका निर्धारण आपकी तैयारी पर निर्भर करता है। अगर आपकी सामान्य अध्ययन के सभी विषयों पर पकड़ एवं गति संतोषजनक है तो आप एक तरफ से उत्तर देते हुए आगे बढ़ सकते हैं। अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो सबसे पहले आप उन प्रश्नों को हल करें, जिनके उत्तर के लिये आप पूरी तरह आश्वस्त हैं और जो सबसे कम समय लेते हों। फिर उन प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें, जिनके विकल्पों में आपको थोड़ा-बहुत ही संशय हो। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर हल किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें। चूँकि, निगेटिव मार्विंग का प्रावधान है, इसलिये उत्तर का चुनाव सावधानीपूर्वक करें तथा सभी प्रश्नों को अटेम्प्ट करने का अनावश्यक दबाव न लें। आपकी जिस खंड में पकड़ अच्छी हो, उससे पूछे जाने वाले प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये, क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना भी ज़्यादा होगी। ये प्रश्न हल करने के बाद आपकी स्थिति काफी मज़बूत हो चुकी होगी। इससे आपको आगे के प्रश्नों के लिये पर्याप्त समय तो मिलेगा ही, साथ ही अन्य अभ्यर्थियों की अपेक्षा मनोवैज्ञानिक बढ़त भी हासिल होगी। सीसैट के प्रश्नपत्र में भी प्रथम प्रश्नपत्र की तरह उन प्रश्नों को पहले हल करना ठीक होगा, जिनमें समय कम लगता हो और उत्तर ठीक होने की संभावना भी ज़्यादा हो। परीक्षा की तैयारी की लंबी प्रक्रिया में निराशा हावी हो सकती है, ऐसे में यह भरोसा रखना आवश्यक है कि अलभ्य कुछ भी नहीं है। जब आप एक सटीक रणनीति के साथ तैयारी करेंगे तो मंज़िल आपसे ज़्यादा देर तक दूर नहीं रह सकती।

एच.पी.एस.सी. FAQs

प्रश्न – 1 : कट-ऑफ’ क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वह न्यूनतम निर्धारित (आयोग द्वारा) अंक जिसे प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा (विशेष) में सफल होता है। एच.पी.एस.सी. परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत यह कट-ऑफ भिन्न-भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिए भिन्न-भिन्न होती हैं। प्रत्येक वर्ष के लिये कट-ऑफ’ कोई स्थिर नहीं होती है बल्कि इसमें हर साल बदलाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों के आधार पर किया जाता है। स्वाभाविक सी बात है कि अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा। 

प्रश्न – 2 : प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?

उत्तर : इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन एवं सीसैट के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें हल  करते हुए बढ़ें। किन्तु अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।

सीसैट के प्रश्नपत्र में यदि आपकी अंग्रेज़ी ठीक है तो अंग्रेज़ी बोधगम्यता (English Comprehension) एवं व्याकरण( Grammar)  के लगभग 10 से 15 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चहिये क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होगी। ये 15 प्रश्न करने के बाद आपकी स्थिति काफी मज़बूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेज़ी से वे प्रश्न करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये  जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें। अंत में समय बचे तो उन प्रश्नों को करें और नहीं तो छोड़ दें। एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में गणित या तर्कशक्ति के कुछ सवाल कर लें उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। सरल से कठिन प्रश्नों की ओर बढ़ने की यह प्रक्रिया सामान्य अध्ययन एवं हिंदी के प्रश्नपत्रों को हल करते समय भी अपनाया जा सकता है। 

प्रश्न – 3: परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है, उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?

उत्तर : पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक-टेस्ट शृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज़्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न – 4 : मैं अंग्रेज़ी में शुरू से ही कमज़ोर हूँ। क्या मैं सीसैट में सफल हो सकता हूँ?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। ‘सीसैट’ में केवल 10-15 प्रश्न ऐसे होते हैं जो सिर्फ अंग्रेज़ी में होते हैं। ये प्रश्न अंग्रेज़ी में दिये गए अनुच्छेदों पर आधारित बोधगम्यता (Comprehension) एवं व्याकरण (Grammar) के प्रश्न होते हैं। सच यह है कि अंग्रेज़ी में दिये गए अनुच्छेद काफी आसान भाषा में होते हैं और बहुत कमज़ोर विद्यार्थी भी इनमें से 3-4 सवाल ठीक कर सकते हैं।

प्रश्न – 5 : मैं शुरू से गणित में कमज़ोर हूँ। क्या मैं सीसैट में सफल हो सकता हूँ?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सीसैट के 100 प्रश्नों में से लगभग 15 प्रश्न गणित से पूछे जाते हैं और उनमें से भी आधे प्रश्न तर्कशक्ति (रीजनिंग) के होते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है। अत: थोड़ा प्रयास करने से ये हल हो जाते हैं। हो सके तो गणित में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्रायः सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप प्रतिशतता और अनुपात जैसे शीर्षक तैयार कर लेंगे तो गणित के 3-4 प्रश्न ठीक हो जाएंगे।

प्रश्न – 6 : क्या सभी प्रश्नों को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या साथ-साथ भरते रहना चाहिये?

उत्तर :  बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज़्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते।

ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। सीसैट के प्रश्नों में प्रायः एक अनुच्छेद या सूचना के आधार पर 5-6 प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे सभी प्रश्न एक साथ कर लेने चाहिये और साथ ही ओ.एम आर. शीट पर भी उन्हें भर दिया जाना चाहिये। चूँकि गोलों को काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है, अत: उन्हें भरते समय विशेष सावधानी रखें। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।

प्रश्न – 7 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से प्रारम्भिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या ?

उत्तर : 

  • प्रारम्भिक परीक्षाओं के लिये मॉक टेस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका पहला लाभ है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं।
  • दूसरे, समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है। 
  • तीसरे, अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं। 
  • चौथा लाभ है कि आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है? 
  • ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट शृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है। ‘दृष्टि’ की मॉक टेस्ट शृंखला अत्यंत श्रेष्ठ है जिसमें आप जनवरी से अप्रैल के दौरान काफी सारी जाँच परीक्षाएँ दे सकते हैं। 

प्रश्न – 8 : मुख्य परीक्षा के लिये वैकल्पिक विषय चुनते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिये?

उत्तर : उपयुक्त वैकल्पिक विषय का चयन ही वह निर्णय है जिस पर किसी उम्मीदवार की सफलता का सबसे ज़्यादा दारोमदार होता है। विषय चयन का असली आधार सिर्फ यही है कि वह विषय आपके माध्यम में कितना ‘स्कोरिंग’ है? विषय छोटा है या बड़ा, वह सामान्य अध्ययन में मदद करता है या नहीं ये सभी आधार भ्रामक हैं। अगर विषय छोटा हो और सामान्य अध्ययन में मदद भी करता हो किंतु दूसरे विषय की तुलना में 50 अंक कम दिलवाता हो तो उसे चुनना निश्चित तौर पर घातक है। भूलें नहीं कि आपका चयन अंततः आपके अंकों से ही होता है, इधर-उधर के तर्कों से नहीं।

प्रारंभिक परीक्षा – पाठ्यक्रम

हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित ‘हरियाणा सिविल सेवा’ (HCS) प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र शामिल हैं। पहला प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का है जबकि दूसरे को ‘सिविल सेवा अभिवृत्ति परीक्षा’ (Civil Services Aptitude Test) या ‘सीसैट’ कहा जाता है। दोनों प्रश्नपत्र 100-100 अंकों के होते हैं तथा इनके प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ प्रकार की होती है।

  • सामान्य अध्ययन पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पाठ्यक्रम में छह विषय शामिल हैं – सामान्य विज्ञान, समसामयिक घटनाएँ (राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय), भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, भूगोल (भारत और विश्व), संस्कृति-राजनीति-भारत की अर्थव्यवस्था, सामान्य मानसिक योग्यता।
    • सामान्य विज्ञान: इसके अंतर्गत सामान्य विज्ञान में आपकी समझ को परखने के उद्देश्य से प्रश्नों को कवर किया जाता है। इसका संबंध उन घटनाओं से है जो हमारे दैनिक जीवन में घटित होती हैं। इसमें मूलभूत रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान और भौतिक विज्ञान जैसे विषय शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समसामयिक घटनाएँ: इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घटित होने वाली समसामयिक घटनाएँ शामिल हैं।
    • भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन: परीक्षा में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समझ के पहलू को ध्यान में रखते हुए भारतीय इतिहास से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। 
      • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न उन्नीसवीं सदी के पुनरुत्थान की प्रकृति और चरित्र, राष्ट्रवाद के उदय और स्वतंत्रता प्राप्ति से संबंधित होंगे।
    • भारत और विश्व का भूगोल: इस खंड में भारत के सामाजिक, आर्थिक और भौतिक भूगोल के साथ-साथ भारतीय कृषि से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे।
    • संस्कृति- राजनीति- भारत की अर्थव्यवस्था: भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रश्नों के माध्यम से देश की राजनीतिक व्यवस्था और भारत के संविधान, पंचायती राज, सामाजिक व्यवस्था तथा भारत में आर्थिक विकास संबंधी ज्ञान का परीक्षण किया जाएगा।
    • सामान्य मानसिक योग्यता: हरियाणा-अर्थव्यवस्था और लोग। सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संस्थान तथा हरियाणा की भाषा।
  • सिविल सेवा अभिवृत्ति परीक्षा (सीसैट)
    • बोधगम्यता 
    • संचार कौशल सहित अंतर-वैयक्तिक कौशल 
    • तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता 
    • निर्णय लेना और समस्या समाधान
    • सामान्य मानसिक योग्यता 
    • आधारभूत संख्ययन (संख्याएँ और उनके संबंध, विस्तार-क्रम आदि) (दसवीं कक्षा का स्तर); आँकड़ों का निर्वचन (चार्ट, ग्राफ, तालिका, आँकड़ों की पर्याप्तता आदि- दसवीं कक्षा का स्तर) 

मुख्य परीक्षा-पाठ्यक्रम

  • प्रश्नपत्र I – अंग्रेज़ी तथा अंग्रेज़ी निबंध: इस प्रश्नपत्र का उद्देश्य गद्य (Prose) को ध्यानपूर्वक पढ़ने और समझने तथा अपने विचारों को स्पष्ट रूप से एवं सही ढंग से अंग्रेज़ी में व्यक्त करने के संदर्भ में उम्मीदवार की क्षमता का परीक्षण करना है। इसके तहत पूछे जाने वाले प्रश्नों का पैटर्न आमतौर पर इस प्रकार होगा:
    • Précis Writing (संक्षिप्त लेखन)
    • Comprehension of given passages (बोधगम्यता)
    • Essay (निबंध)
    • Usage and Vocabulary (शब्द प्रयोग व शब्द भण्डार)
    • General Grammar/Composition (सामान्य व्याकरण तथा रचना)
  • प्रश्नपत्र II – हिंदी तथा हिंदी निबंध
    • एक अंग्रेज़ी गद्यांश का हिंदी में अनुवाद।
    • पत्र/सटीक लेखन
    • दिये गए हिंदी अवतरण (गद्य और कविता) की व्याख्या।
    • संरचना (मुहावरे, सुधार आदि)
    • एक विशिष्ट विषय पर निबंध। (विषयों का विकल्प दिया जाएगा)
  • प्रश्नपत्र III – सामान्य अध्ययन: यह प्रश्नपत्र दो भागों में विभाजित है और दोनों भाग अनिवार्य हैं।
  • भाग – I
    • आधुनिक भारतीय इतिहास और भारतीय संस्कृति: आधुनिक इतिहास (उन्नीसवीं शताब्दी से अब तक)। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के व्यक्तित्त्व, समाज सुधार संबंधी प्रश्न, भारतीय संस्कृति से संबंधित प्रश्न आदि शामिल हैं।
    • भारतीय भूगोल: इस भाग में, आवेदकों से भौतिक, सामाजिक और आर्थिक भूगोल के बारे में पूछा जाएगा।
    • भारतीय राजव्यवस्था: इस भाग भारतीय राजनीति के विभिन्न पक्ष जैसे- भारतीय संविधान, भारत की राजनीतिक व्यवस्था आदि से संबंधित प्रश्न इस भाग में पूछे जाएंगे।
    • वर्तमान राष्ट्रीय मुद्दे और सामाजिक प्रासंगिकता: लोकतंत्र और मानव संसाधन से सम्बद्धमुद्दे, मानवाधिकार, भ्रष्टाचार, पारिस्थितिक संरक्षण, राष्ट्रीय विरासत, वयस्क साक्षरता तथा ऐसे ही अन्य संबंधित विषय इस भाग में शामिल हैं।
  • भाग-II
    • भारत और विश्व: यह विषय विदेशी मामलों, आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा आदि जैसे क्षेत्रों में भारत और विश्व के बीच संबंधों से संबंधित है।
    • भारत की अर्थव्यवस्था: यह विषय भारत के आर्थिक विकास, विदेशी व्यापार, विश्व व्यापार संगठन, व्यापार के मुद्दों आदि से संबंधित है।
    • अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम: इसके तहत विश्व भर की समसामयिक घटनाओं और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के विषय में प्रश्न पूछे जाएँगे।
    • विज्ञान से संबंधित क्षेत्रों में विकास: यह हिस्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, दूरसंचार तथा बुनियादी कंप्यूटरों के विकास से संबंधित है। 
    • सांख्यिकी: इन विषयों में सांख्यिकीय, आरेखीय, चित्रमय समस्याएँ और ऐसे ही अन्य संबंधित विषय शामिल हैं जिन पर उम्मीदवारों का परीक्षण किया जाएगा।

प्रश्नपत्र IV: मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में निम्नलिखित 23 विषयों में से किसी एक विषय का चयन करना होता है: 

  • कृषि
  • पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा
  • वनस्पति विज्ञान
  • रसायन शास्त्र
  • सिविल इंजीनियरिंग
  • वाणिज्य और लेखा
  • अर्थशास्त्र
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • अंग्रेज़ी साहित्य
  • भूगोल
  • हिंदी साहित्य
  • भारतीय इतिहास
  • कानून
  • गणित
  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
  • भौतिक विज्ञान
  • राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध
  • मनोविज्ञान
  • लोक प्रशासन
  • पंजाबी साहित्य
  • समाज शास्त्र
  • संस्कृत साहित्य
  • प्राणि विज्ञान
Scroll to Top